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पराशर झील :-
Region: 49 Km North of Mandi, Himachal Pradesh
Best time to visit: April to July and September to November
Elevation: 2730 m (8960 ft)
Altitude: High
पराशर झील हिमाचल के मंडी जिले के उत्तर में स्थित है ,जो की अपनी खूबसूरती के लिए विखयात है। यहां पराशर ऋषि का मंदिर हर किसी को अपनी और आकर्षित करता है , यहां पहाड़ों से ढकी एक अंडाकार झील भी है जो इस मंदिर की खूबसूरती को चार चाँद लगा देती है , यह सारा नज़ारा एक एक खूबसूरत चित्र के भांति प्रतीत होता है। मंदिर के पीछे दिखती धौलाधार पर्वतों की श्रंखला घुमक्कड़ों को एक खास अनुभव करवाती है।
यह झील बहुत एकांत में स्थित है इसलिए हर साल यहां पर बहुत से लोग इसकी खूबसूरती का मजा लेने आतें हैं और इस पवित्र मंदिर में सर झुकाते हैं।
आकर्षण :-
इस झील में एक तैरता हुआ द्वीप है जो समय के साथ अपनी जगह बदलता रहता है इस झील की चारों ओर पहाड़ हैं जो हरी घास की चदर से ढके रहतें हैं । यहां पर आने का सही समय अप्रैल से जुलाई का होता है।
पराशर मंदिर :-
पुराणों के अनुसार ऋषि पराशर ने इस स्थान पर तप किया था। यहां पराशर ऋषि का मंदिर 14वीं और 15वीं शताब्दी में मंडी रियासत के तत्कालीन राजा बानसेन ने बनवाया था, पराशर ऋषि को मंडी रियासत के राजपरिवार का विशेष देवता माना गया है।
दंतकथाएं :-
पांडवो में भीम जी सबसे बलशाली थे माना जाता है की उन्होंने इस झील का निर्माण किया था।
कुछ लोगों अनुसार यह झील धरती के स्वरूप को भी व्यक्त करती है जो की 79% जल और 29% भूमी से बनी है।
प्रशार झील कैसे पहुँचे
बस से :-
दिल्ली से पराशर झील की दूरी 420 KM
चंडीगढ़ से पराशर झील की दूरी 180 KM
दिल्ली से पराशर झील का कुल समय = 12-13 घंटे
मंडी से पहली बस सुबह करीब 7:30 पर चलती है जो की आपको 11:30 पराशर झील पहुंचा देगी। बापसी में यह बस दोपहर 1:15 पर चलती है जो आपको मंडी करीब 4:30 बजे पहुँचा देगी।
सर्दियों में जब ऊपर बर्फबारी हो जाती है तब यह बस आपको बाग़ी गांव तक ही पहुंचाएगी उसके बाद आपको जंगलों को चीरते यात्रा करने पड़ेगी जो की काफी रोमांच भरी है।
बजौरा गांव से :- कुल्लू मनाली की ओर से आने बाले लोग ही इस रास्ते से आते हैं। आपको कुल्लू से पराशर पहुंचने में लगभग पहुंचने में 3 घंटे तक का समय लग जाएगा।
यात्रा के लिए रास्ते
बाग़ी गांव से :- बागी गांव मंडी से लगभग 38 KM है आप बाग़ी गाँव से यात्रा शुरू कर सकते हैं यह आप 4.5 से 5 घंटे में पूरी कर लेंगे। यह रास्ता बहुत खूबसूरत है जो घने जंगल से होकर गुजरता है। इसकी दूरी लगभग 7.5 KM है जो की ज्यादा मुश्किल नहीं है। लेकिन अगर आप सर्दियों में इस रास्ते से जाने रहे हैं तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आप समय से निकलें हों क्युकि जंगल घना है और बर्फबारी कभी भी शुरू हो सकती है , इसके लिए आप किसी स्थानीय निवासी की सहायता ले सकते हैं।
रुकने की व्यवस्था
ऊपर रुकने के लिए HPPWD OR FOREST DEPARTMENT के गेस्ट हाउस हैं ,यह झील से लगभग 15 मिनट दूर है लेकिन यहां रुकने के लिए आपको एडवांस में बुकिंग करवानी पड़ेगी। यह दोनों ही बहुत खूबसूरत जगह पर हैं।
HPWWD :-गेस्ट हाउस बुक करने क लिए 01905-222151 or email at EE-Mandiv1@hp.nic.in
Forest guest house:- contact DFO office Mandi at 01905 – 235360 or RFO Kataula at Tel : 01905 – 269469.
अगर आप गेस्ट बुक कर पाने में कामजाबी प लेते हो तो आपको वहां का रखवाला खाना बना कर खिलायेगा नहीं तो आप आसपास के छोटे मोटे ढाबों से काम चला सकते हो।
धर्मशाला :-यह रुकने लिए सबसे सस्ता है लेकिन यहां रुकना हर किसी के बस नहीं है , कमरे ज्यादा अच्छे नहीं हैं वहाँ मिलने बाले कंबल कई बार बहुत पुराने होते हैं और कई बार ज्यादा लोग होने आपको किसी अजनवी के साथ भी कंबल बांटना पड़ सकता है और सुबह जंगल पानी ही जाना पड़ेगा।
कैम्पिंग :- यह सबसे बढ़िया विकल्प है अपनी यात्रा को खूबसूरत बनाने का ,यहां अधिकतर लोग कैम्पिंग लगाने के लिए आतें हैं , यहां आपको आराम से 1000-1200 रूपये में कैंपिंग मिल जाएगी जिसमें आपको खाना भी परोसा जायेगा , लेकिन सुबह आपको यहां भी दिक़्क़त का सामना करना पड़ेगा।
यहां कुछ बढ़िया कैंपिंग की व्यवस्था है लेकिन वह झील से लगभग 2 km दुरी पर है।
खाने की व्यवस्था
खाने के लिए आपको मंदिर के आस पास काफी दुकानें मिल जाएँगी जिसमें आपको चाय ब्रैड के साथ खाने में मैग्गी और दाल,चावल,राजमाह,कड़ी उपलब्ध हो जाएगी। अगर आप यहां किसी गेस्ट हाउस में भी रुकते हैं तो ज्यातर यही दूकान बाले आपको भोजन उपलब्ध करबाते हैं।
मेरी कहानी :-
कॉलेज लाइफ शुरू हो गयी है और शायद आज पहली बार घूमने की गुप्तगू की जा रही है अभी नया नया घूमने का जुनून सा सवार हुआ है और भाई लोग जंगलो पहाड़ो से नीचे तो बात ही नहीं कर रहे हैं। नाईट स्टे ,बोन फायर जैसे शब्द डराने के साथ उत्सुकता भी दिमाग मैं पैदा कर ही देते हैं ,पहाड़ों में रात गुज़ारने की बात मुझे अपनी ओर लगातर खींची जा रही है। और पराशर लेक (Prashar Lake) को फते करने का प्लान बनाया गया है जाने बाली टीम में कुल ग्यारह सदस्य हैं। बस सुबह मंडी के लिए पकड़ ली है ,मंडी से दूसरी बस हमें 7:30AM पर मिलेगी जो हमें सीधा पराशर पहुंचाएगी , चाय की एक चुस्की लेकर हम पराशर झील के लिए बस में स्वार हो लिए हैं , बस हमें 11.30 AM पराशर पहुँचा चुकी है और हम झील की ओर प्रस्थान कर रहे हैं बस 20 मिनट में हम झील के पास पहुंच गए हैं झील को निहारने के बाद बस की थकान मानों गायब सी हो गयी है।
बोतल रुक गई है और परदेसन से जान पहचान शुरू हो गयी , फिर क्या बातों ही बातों में she ask for धुँए वाला नशा और बस इतने में तो दोस्तों का दिल नशे पे आ गया था ,अब बोह एक हिमाचली बैग से नशे की पुडी निकलती है और जिसको देख भाई लोगों की आँखों में अजीब रोशनी आ गई है। अब धुँए वाले नशे से भाई लोगों की आंखे भर चुकी हैं और भाई लोग खुश होकर पानी वाले नशे का प्रस्ताव परदेसन को दे रहे हैं।
कुछ दूर चलकर एक मैदान में सब बैठ गये हैं और पूरा मज़ाक चला हुआ है जैसा की निचे दिये गए चित्र में दिखाई पड़ रहा है।
जल्दवाजी में 4 गिलास अपने भाई पी चुके और परदेसन का पहला ही चला है। जब नशा सर पे चढ़ ही गया है तो क्यों न नृत्य किया जाये , मिनी भाई और मोदी भाई कोई वेस्टर्न नृत्य का प्रदर्शन करते हैं जोकि एक हास्य का पात्र बन रहा है , इसका लुप्त उठाने के बाद कुछ पल आराम हो रहा है कुछ भाई लोग रात के रुकने का जुगाड़ पता कर रहे हैं पर जुगाड़ हो नहीं पा रहा है और टेन्ट बगेरा भी कुछ नहीं मिला है ।
हम रात को खुद खाना बनाने का सारा जुगाड़ लेकर आये हैं , कुकर और चावल भी रात का इंज़ार कर रहे हैं।
अब आखिर में यहां एक जंगल में खुले आसमान के नीचे रात गुज़ारने की बात की जा रही है और जल्द ही यह पक्का कर लिया है के हम जंगल में ही रुकेंगे ,जिसमें परदेसन (लॉरेन ओसवानगर ) भी हमारे साथ हैं उसको पूरी बात उसकी भाषा में समझायी जा रही है लेकिन बोह हमारे साथ जाना चाहती है और अपने साथ इन यादों को जोड़ना चाहती है।
आगे का सफर शुरू हो चुका है , निखिल भाई तो बिना जूतों के ही हो लिए हैं और भाई जी अंग्रेजी बोलते ही जा रहे हैं समझ नहीं आ रहा यह नशे का असर है या कुछ और ,सबसे पीछे रह रहे निखिल भाई को समय समय पर आवाज मारकर आगे चलने को कहा जा रहा है अब शाम के चार बज चुके हैं और अँधेरा होने में कुछ ही समय बचा है ,अब ठाकुर साहव ने सभी को एक निर्देश दे दिया है :-कोई भी सूखी लकड़ी मिले उसे उठा लो आगे यहां सही जगह मिली वहीं ठहर जायेंगे , कुछ भाई अभी इस आदेश का पालन करने के हालत में नहीं हैं बोह ऐसे ही चल लें तो अच्छा है कुछ भाई लोग पहले एक अच्छी जगह पहुंच कर एक उल्टा काम कर चुके हैं जो की बहुत अशोकजनक है ,''बची हुई नशे की एक बोतल अब नहीं रहीं''। उस बोतल के गुज़रने से अब कुछ भाई लोगों को रात न गुज़रने का डर सताने लगा है, थोड़े अफ़सोस के साथ सभी को ठाकुर साहब निर्देश अनुसार सूखी लकड़ियों का इंतज़ाम करने को कहा गया है जो हमें खाना बनाने के साथ रात में ठंड से बचाएगी ,हम एक पहाड़ी के शिखर पर रुकने का सोच चुके हैं।
पहाड़ी की चोटी पर कोई पेड़ नहीं हैं इसलिए हम लकड़ियाँ लाने नीचे जा रहे है थोड़ी देर में भाई लोग लकड़ियों का बड़ा ढेर लगा देते हैं जोकि पूरी रात भर जलने के लिए काफी है ,इन्हीं लकड़ियों की आग हमें रात को ठंड और जानबरों से बचाएगी , अब बिस्तर का इंतजाम होगा , हरे भरे पत्त्त्ते लाये जा रहे हैं जिनका मोटा तेह हमारा शाही बिस्तर बनेगा।
भगवान से रात को बारिश न करने की प्राथना मैं मन ही मन कर चूका हूँ ,अब अँधेरा हो गया है और बैग में रखा कुकर बाहर निकलने की ताक में है ,छोटा सा चूल्हा बना लिया गया है और प्याज ,टमाटर काटे जा रहे हैं ,और दूसरी और हम सब आग जलाकर बैठे हैं , एक तरफ आग से मटर बाले चावल बन रहे हैं तो दूसरी तरफ नशे की आग भी दोस्तों के सर चढ़कर बोल रही है।
हमारे कुक मोदी जी (विशाल) हैं जिनके खाने की बहुत सराहना की जाती है आज उनके भी इम्तिहान की घड़ी है। लो चावल बन गए और आज हम पत्तों पे ही खाना खा रहें हैं जोह बहुत स्वादिष्ट बने हैं , भूख ज्यादा लगी है और फिर चावल बनाने का काम शुरू हो गया है।
अब बारी मेरी भी है :-लॉरेन के साथ अंग्रेजी बोलने की,सबको पता है मजा आने बाला है इसलिए पटियाल और अनमोल भाई ने पहले ही फ़ोन की वीडियो ऑन कर ली है , खूब मजाक बन रहा है ज्यातर बातें अपने को उसकी समझ नहीं आ रही है इसलिए मैं सर झुकाकर दोस्तों को गाली दिया जा रहा हूँ। चावल फिर खा लिए गए हैं अब फिर बातें शुरू होंगी। ठंड ज्यादा है और हवा चल रही है। समय बीत रहा है और नशे का असर भी , असर दिख रहा है तो बोह है ठंड अब साथ में लायी हुई 3 चदरें इस ठंड के लिए काफी नहीं है इसलिए कभी यहां तो कभी दूसरी तरफ चदर खींची जा रही है ,चिम्पू भाई इस बात पे काफी गुस्सा हैं , बस लगातार चदर ही मांगे जा रहे हैं और बदले में गलियां दिए जा रहे हैैं । बातचीत जारी है भाई लोग एक दूसरे के खूभ मजे ले रहे हैं लेकिन पीने का पानी नहीं है एक संभाल कर रखी मेरी बोतल भी अब समाप्त हो गयी है ,लॉरेन से भी काफी कुछ जाना जाता है।
सुबह का सूर्य उदय बहुत खूबसूरती का दृश्य दिखाता है , बोह पहाड़ों को चीरती सूरज की किरनें और ठंडी हवा का झोका हमें ताज़गी से भर देते हैं ,बापसी के लिए कदम उठ चुके हैं और बहुत जल्दी से झील की और बढ़ा जा रहा है हवा बहुत ही ज्यादा ठंडी है।
और झील पर हम सब पहुंच जातें हैं , सुबह सुबह झील का दृश्य और भी खूबसूरत है कुछ पल झील के पास बैठ कर लॉरेन को विदाई दी जाती है और हमारा भी कोई इंतज़ार कर रहा है :-हिमाचल परिवहन। बापसी की जाती है और घुमक्क्ड़ी का स्वाद चखा जा चुका है।
3)Instagram
https://www.instagram.com/sandy_pahadi_4/
4)Gmail:- csandeep534@gmail.com
पराशर झील :-
Region: 49 Km North of Mandi, Himachal Pradesh
Best time to visit: April to July and September to November
Elevation: 2730 m (8960 ft)
Altitude: High
पराशर झील हिमाचल के मंडी जिले के उत्तर में स्थित है ,जो की अपनी खूबसूरती के लिए विखयात है। यहां पराशर ऋषि का मंदिर हर किसी को अपनी और आकर्षित करता है , यहां पहाड़ों से ढकी एक अंडाकार झील भी है जो इस मंदिर की खूबसूरती को चार चाँद लगा देती है , यह सारा नज़ारा एक एक खूबसूरत चित्र के भांति प्रतीत होता है। मंदिर के पीछे दिखती धौलाधार पर्वतों की श्रंखला घुमक्कड़ों को एक खास अनुभव करवाती है।
यह झील बहुत एकांत में स्थित है इसलिए हर साल यहां पर बहुत से लोग इसकी खूबसूरती का मजा लेने आतें हैं और इस पवित्र मंदिर में सर झुकाते हैं।
आकर्षण :-
इस झील में एक तैरता हुआ द्वीप है जो समय के साथ अपनी जगह बदलता रहता है इस झील की चारों ओर पहाड़ हैं जो हरी घास की चदर से ढके रहतें हैं । यहां पर आने का सही समय अप्रैल से जुलाई का होता है।
पराशर मंदिर :-
पुराणों के अनुसार ऋषि पराशर ने इस स्थान पर तप किया था। यहां पराशर ऋषि का मंदिर 14वीं और 15वीं शताब्दी में मंडी रियासत के तत्कालीन राजा बानसेन ने बनवाया था, पराशर ऋषि को मंडी रियासत के राजपरिवार का विशेष देवता माना गया है।
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लेक का एक मनमोहक नज़ारा |
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पराशर मंदिर |
दंतकथाएं :-
पांडवो में भीम जी सबसे बलशाली थे माना जाता है की उन्होंने इस झील का निर्माण किया था।
कुछ लोगों अनुसार यह झील धरती के स्वरूप को भी व्यक्त करती है जो की 79% जल और 29% भूमी से बनी है।
प्रशार झील कैसे पहुँचे
बस से :-
दिल्ली से पराशर झील की दूरी 420 KM
चंडीगढ़ से पराशर झील की दूरी 180 KM
दिल्ली से पराशर झील का कुल समय = 12-13 घंटे
मंडी से पहली बस सुबह करीब 7:30 पर चलती है जो की आपको 11:30 पराशर झील पहुंचा देगी। बापसी में यह बस दोपहर 1:15 पर चलती है जो आपको मंडी करीब 4:30 बजे पहुँचा देगी।
सर्दियों में जब ऊपर बर्फबारी हो जाती है तब यह बस आपको बाग़ी गांव तक ही पहुंचाएगी उसके बाद आपको जंगलों को चीरते यात्रा करने पड़ेगी जो की काफी रोमांच भरी है।
बजौरा गांव से :- कुल्लू मनाली की ओर से आने बाले लोग ही इस रास्ते से आते हैं। आपको कुल्लू से पराशर पहुंचने में लगभग पहुंचने में 3 घंटे तक का समय लग जाएगा।
यात्रा के लिए रास्ते
बाग़ी गांव से :- बागी गांव मंडी से लगभग 38 KM है आप बाग़ी गाँव से यात्रा शुरू कर सकते हैं यह आप 4.5 से 5 घंटे में पूरी कर लेंगे। यह रास्ता बहुत खूबसूरत है जो घने जंगल से होकर गुजरता है। इसकी दूरी लगभग 7.5 KM है जो की ज्यादा मुश्किल नहीं है। लेकिन अगर आप सर्दियों में इस रास्ते से जाने रहे हैं तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आप समय से निकलें हों क्युकि जंगल घना है और बर्फबारी कभी भी शुरू हो सकती है , इसके लिए आप किसी स्थानीय निवासी की सहायता ले सकते हैं।
रुकने की व्यवस्था
ऊपर रुकने के लिए HPPWD OR FOREST DEPARTMENT के गेस्ट हाउस हैं ,यह झील से लगभग 15 मिनट दूर है लेकिन यहां रुकने के लिए आपको एडवांस में बुकिंग करवानी पड़ेगी। यह दोनों ही बहुत खूबसूरत जगह पर हैं।
HPWWD :-गेस्ट हाउस बुक करने क लिए 01905-222151 or email at EE-Mandiv1@hp.nic.in
Forest guest house:- contact DFO office Mandi at 01905 – 235360 or RFO Kataula at Tel : 01905 – 269469.
अगर आप गेस्ट बुक कर पाने में कामजाबी प लेते हो तो आपको वहां का रखवाला खाना बना कर खिलायेगा नहीं तो आप आसपास के छोटे मोटे ढाबों से काम चला सकते हो।
धर्मशाला :-यह रुकने लिए सबसे सस्ता है लेकिन यहां रुकना हर किसी के बस नहीं है , कमरे ज्यादा अच्छे नहीं हैं वहाँ मिलने बाले कंबल कई बार बहुत पुराने होते हैं और कई बार ज्यादा लोग होने आपको किसी अजनवी के साथ भी कंबल बांटना पड़ सकता है और सुबह जंगल पानी ही जाना पड़ेगा।
कैम्पिंग :- यह सबसे बढ़िया विकल्प है अपनी यात्रा को खूबसूरत बनाने का ,यहां अधिकतर लोग कैम्पिंग लगाने के लिए आतें हैं , यहां आपको आराम से 1000-1200 रूपये में कैंपिंग मिल जाएगी जिसमें आपको खाना भी परोसा जायेगा , लेकिन सुबह आपको यहां भी दिक़्क़त का सामना करना पड़ेगा।
यहां कुछ बढ़िया कैंपिंग की व्यवस्था है लेकिन वह झील से लगभग 2 km दुरी पर है।
खाने की व्यवस्था
खाने के लिए आपको मंदिर के आस पास काफी दुकानें मिल जाएँगी जिसमें आपको चाय ब्रैड के साथ खाने में मैग्गी और दाल,चावल,राजमाह,कड़ी उपलब्ध हो जाएगी। अगर आप यहां किसी गेस्ट हाउस में भी रुकते हैं तो ज्यातर यही दूकान बाले आपको भोजन उपलब्ध करबाते हैं।
मेरी कहानी :-
कॉलेज लाइफ शुरू हो गयी है और शायद आज पहली बार घूमने की गुप्तगू की जा रही है अभी नया नया घूमने का जुनून सा सवार हुआ है और भाई लोग जंगलो पहाड़ो से नीचे तो बात ही नहीं कर रहे हैं। नाईट स्टे ,बोन फायर जैसे शब्द डराने के साथ उत्सुकता भी दिमाग मैं पैदा कर ही देते हैं ,पहाड़ों में रात गुज़ारने की बात मुझे अपनी ओर लगातर खींची जा रही है। और पराशर लेक (Prashar Lake) को फते करने का प्लान बनाया गया है जाने बाली टीम में कुल ग्यारह सदस्य हैं। बस सुबह मंडी के लिए पकड़ ली है ,मंडी से दूसरी बस हमें 7:30AM पर मिलेगी जो हमें सीधा पराशर पहुंचाएगी , चाय की एक चुस्की लेकर हम पराशर झील के लिए बस में स्वार हो लिए हैं , बस हमें 11.30 AM पराशर पहुँचा चुकी है और हम झील की ओर प्रस्थान कर रहे हैं बस 20 मिनट में हम झील के पास पहुंच गए हैं झील को निहारने के बाद बस की थकान मानों गायब सी हो गयी है।
मंदिर में नतमस्तक होकर काफी आनंद सा महसूस हो रहा है अब बारी आती है भोजन ग्रहण करने की जोकि मैगी है ,मैगी खाते खाते कुछ समय गुज़रता है और फिर अब ठंडी हवा के नशे में आकर सच और जूठ का खेल (Truth And Dare) खेलने का मन बनाया गया है और टेबल पे घूमती बोतल इस खेल का मुख्य पहलू है अब बोतल घूम रही है और दोस्तों की बातें भी ,सच का तो पता नहीं पर इतना जरूर लग रा है।अपने दोस्त जूठ बोलने में किसी से पीछे नहीं है इस बार बोतल थक हारकर ठाकुर साहब के आगे खड़ी है और कह रही है ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर,ठाकुर जी ने हाथ तो नहीं दिये लेकिन जो काम बताया गया है उसको पूरा करने का प्रण ले लिया है जिसमें एक दूर बैठी परदेसी सुंदरी से कुछ जानकारी लेने की बात है ठाकुर जी अपने दोनों हाथों के साथ उससे कुछ Hii... Hello करते हैं और CAN YOU JOIN US..जैसे कुछ शव्द उसे हमारे बीच में ला देते हैं।
आराम करते भाई लोग |
कुछ दूर चलकर एक मैदान में सब बैठ गये हैं और पूरा मज़ाक चला हुआ है जैसा की निचे दिये गए चित्र में दिखाई पड़ रहा है।
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जल्दवाजी में 4 गिलास अपने भाई पी चुके और परदेसन का पहला ही चला है। जब नशा सर पे चढ़ ही गया है तो क्यों न नृत्य किया जाये , मिनी भाई और मोदी भाई कोई वेस्टर्न नृत्य का प्रदर्शन करते हैं जोकि एक हास्य का पात्र बन रहा है , इसका लुप्त उठाने के बाद कुछ पल आराम हो रहा है कुछ भाई लोग रात के रुकने का जुगाड़ पता कर रहे हैं पर जुगाड़ हो नहीं पा रहा है और टेन्ट बगेरा भी कुछ नहीं मिला है ।
हम रात को खुद खाना बनाने का सारा जुगाड़ लेकर आये हैं , कुकर और चावल भी रात का इंज़ार कर रहे हैं।
अब आखिर में यहां एक जंगल में खुले आसमान के नीचे रात गुज़ारने की बात की जा रही है और जल्द ही यह पक्का कर लिया है के हम जंगल में ही रुकेंगे ,जिसमें परदेसन (लॉरेन ओसवानगर ) भी हमारे साथ हैं उसको पूरी बात उसकी भाषा में समझायी जा रही है लेकिन बोह हमारे साथ जाना चाहती है और अपने साथ इन यादों को जोड़ना चाहती है।
loren oswanger with me |
आगे का सफर शुरू हो चुका है , निखिल भाई तो बिना जूतों के ही हो लिए हैं और भाई जी अंग्रेजी बोलते ही जा रहे हैं समझ नहीं आ रहा यह नशे का असर है या कुछ और ,सबसे पीछे रह रहे निखिल भाई को समय समय पर आवाज मारकर आगे चलने को कहा जा रहा है अब शाम के चार बज चुके हैं और अँधेरा होने में कुछ ही समय बचा है ,अब ठाकुर साहव ने सभी को एक निर्देश दे दिया है :-कोई भी सूखी लकड़ी मिले उसे उठा लो आगे यहां सही जगह मिली वहीं ठहर जायेंगे , कुछ भाई अभी इस आदेश का पालन करने के हालत में नहीं हैं बोह ऐसे ही चल लें तो अच्छा है कुछ भाई लोग पहले एक अच्छी जगह पहुंच कर एक उल्टा काम कर चुके हैं जो की बहुत अशोकजनक है ,''बची हुई नशे की एक बोतल अब नहीं रहीं''। उस बोतल के गुज़रने से अब कुछ भाई लोगों को रात न गुज़रने का डर सताने लगा है, थोड़े अफ़सोस के साथ सभी को ठाकुर साहब निर्देश अनुसार सूखी लकड़ियों का इंतज़ाम करने को कहा गया है जो हमें खाना बनाने के साथ रात में ठंड से बचाएगी ,हम एक पहाड़ी के शिखर पर रुकने का सोच चुके हैं।
पहाड़ी की चोटी पर कोई पेड़ नहीं हैं इसलिए हम लकड़ियाँ लाने नीचे जा रहे है थोड़ी देर में भाई लोग लकड़ियों का बड़ा ढेर लगा देते हैं जोकि पूरी रात भर जलने के लिए काफी है ,इन्हीं लकड़ियों की आग हमें रात को ठंड और जानबरों से बचाएगी , अब बिस्तर का इंतजाम होगा , हरे भरे पत्त्त्ते लाये जा रहे हैं जिनका मोटा तेह हमारा शाही बिस्तर बनेगा।
भगवान से रात को बारिश न करने की प्राथना मैं मन ही मन कर चूका हूँ ,अब अँधेरा हो गया है और बैग में रखा कुकर बाहर निकलने की ताक में है ,छोटा सा चूल्हा बना लिया गया है और प्याज ,टमाटर काटे जा रहे हैं ,और दूसरी और हम सब आग जलाकर बैठे हैं , एक तरफ आग से मटर बाले चावल बन रहे हैं तो दूसरी तरफ नशे की आग भी दोस्तों के सर चढ़कर बोल रही है।
हमारे कुक मोदी जी (विशाल) हैं जिनके खाने की बहुत सराहना की जाती है आज उनके भी इम्तिहान की घड़ी है। लो चावल बन गए और आज हम पत्तों पे ही खाना खा रहें हैं जोह बहुत स्वादिष्ट बने हैं , भूख ज्यादा लगी है और फिर चावल बनाने का काम शुरू हो गया है।
अब बारी मेरी भी है :-लॉरेन के साथ अंग्रेजी बोलने की,सबको पता है मजा आने बाला है इसलिए पटियाल और अनमोल भाई ने पहले ही फ़ोन की वीडियो ऑन कर ली है , खूब मजाक बन रहा है ज्यातर बातें अपने को उसकी समझ नहीं आ रही है इसलिए मैं सर झुकाकर दोस्तों को गाली दिया जा रहा हूँ। चावल फिर खा लिए गए हैं अब फिर बातें शुरू होंगी। ठंड ज्यादा है और हवा चल रही है। समय बीत रहा है और नशे का असर भी , असर दिख रहा है तो बोह है ठंड अब साथ में लायी हुई 3 चदरें इस ठंड के लिए काफी नहीं है इसलिए कभी यहां तो कभी दूसरी तरफ चदर खींची जा रही है ,चिम्पू भाई इस बात पे काफी गुस्सा हैं , बस लगातार चदर ही मांगे जा रहे हैं और बदले में गलियां दिए जा रहे हैैं । बातचीत जारी है भाई लोग एक दूसरे के खूभ मजे ले रहे हैं लेकिन पीने का पानी नहीं है एक संभाल कर रखी मेरी बोतल भी अब समाप्त हो गयी है ,लॉरेन से भी काफी कुछ जाना जाता है।
सुबह का सूर्य उदय बहुत खूबसूरती का दृश्य दिखाता है , बोह पहाड़ों को चीरती सूरज की किरनें और ठंडी हवा का झोका हमें ताज़गी से भर देते हैं ,बापसी के लिए कदम उठ चुके हैं और बहुत जल्दी से झील की और बढ़ा जा रहा है हवा बहुत ही ज्यादा ठंडी है।
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4 comments:
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Night satay ke liye jagah h kaya
हां भाई आपको टेंट लेने पड़ेंगे और सरकारी व्यवस्था भी है लेकिन उसमें रजिस्ट्रेशन करबानी पड़ती है । उपर ब्लॉग में कॉन्टैक्ट नो. दिया है
बहुत मज़ेदार वर्णन किया है
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