Wednesday, November 21, 2018

A Detailed Guide For Kheerganga (खीरगंगा यात्रा की पूरी जानकारी)

मेरी खीरगंगा यात्रा (2015) :- 

एक सभा में बैठे हुए जब घूमने की बात आती है तो खीरगंगा  को चुना जाता  है और इस यात्रा की जिम्मा लिया है
ठाकुर जी ने जोकि हमारे गाइड हैं , पूरा प्लान बना लिया गया  है और सुबह सुंदरनगर बस स्टैंड से 4 बजे की बस है  ।

हल्की फुल्की तैयारी और नींद के साथ हम पांच दोस्त सुबह 4 बजे बस में सुंदरनगर से मणिकर्ण के लिए सवार हो गए हैं और ठाकुर साहब की प्लानिंग से पूरा फन करने की उम्मीद में हैं । बाहर बहुत अंधेरा है पर बस की स्पीड देखकर लगता है कि बस वाला इस बात से वंचित है ।

एक दूसरे की खिल्ली उड़ाते उड़ाते हम अब मंडी बस स्टैंड में पहुँच  गए हैं यहाँ चाय का आनंद लिया जा रहा है और ठाकुर साहब को उनकी जिम्मेदारी का आभास कराया जा रहा है ।
कंडक्टर साहब की सीटी बजती है और बस में सवार हो जाते हैं । कुछ समय बीतते ही वहीँ सूरज अपनी रोशनी इन सुन्दर वादियों में और ड्राइवर हमें पंडोह डैम में पहुचता है ।

एक बहुत सुंदर डैम (पंडोह डैम) के नज़ारों  का लुप्त उठाया जा रहा  है जो 255 मीटर लंबा और 76 मीटर ऊंचा है । कुछ सुन्दर नजरों  से अपने आप का तरो ताज़ा करके  हम मनिकर्ण साहब 
पहुंच गये  हैं और वहाँ गर्म पानी के चश्मों का आनंद लेकर हम  सब वर्शेणी की बस का इंतज़ार कर 
रहे हैं  /


मणिकर्ण के पास बहती ब्यास नदी का एक दृश्य

अब हम बस में  हैं  और हम वर्शेणी  गांव जा रहे हैं जोकि मणिकर्ण से 20 किलोमीटर की  दूरी पर है अब 
बस की गति वैसी नहीँ है जैसे पहले बाली बस की थी रास्ता काफी क्षतिग्रस्त है और तीखे मोड़ बाला
भी । एक काफी तीखा मोड़ काट रे ड्राइवर को मेरे साथी ने आवाज लगा दी और कहा भाई काट
ले अब।  पर मेरे दोस्त की इन पुकारों  का ड्राइवर पर कोई असर नहीं  है और कुछ ही पल में हम 
वर्शिनी पहुंच गए।

बर्शिनी गांव की जानकारी :- 

यह एक छोटा सा गांव है यहाँ पे रुकने की कम व्यवस्था , कुछ ढाबे  और एक छोटा सा 
टैक्सी स्टैंड है यहाँ से एक रास्ता तोश गांव के लिए भी जाता है जो कि लगभग 3-4 किलोमीटर है । यहाँ
से भुंतर के लिए आखिरी बस साँय 4 बजे के करीब है जो कि स्थानीय लोगों से जरूर पता कर लें अगर आप उसी दिन बापिस आना चाहते हैं ।

अब हम बर्शिनी पहुंच चुके हैं और चाय पान किया जा रहा है और पता कर रे है कि आगे कितना पैदल चलना है 
यहां हमें 13 किलोमीटर का रास्ता बताया जा रहा है और समय का अंदाजा हमारी शक्ल देखकर 3:45 घण्टे 
बताया  जा रहा है रास्ता पहाड़ी है और शाम को बापिस भी पहुँचना  है अब ठाकुर साहब आगे आते हैं और एक 
कहते है हम इसे 3 घण्टे से पहले ही चढ़ लेंगे बस मेरा साथ दो ,अब ठाकुर जी की बात मानकर हम उनके पीछे हो
लेते हैं सामने दिख रहे बर्फ से लदे पहाड़ हमें उतना ही प्रोत्साहित कर रहे है जितना कि ठाकुर साहब ।


ठाकुर साहब हमें गाइड करते हुए


रास्ते में एक नदी के पुल से हम आगे गुज़र रहे हैं और अब चढ़ाई बढ़ रही है लेकिन ठाकुर जी के लिए ये सब  
मामूली है सुबह रोज़ उठकर दौड़ने का असर नजर आ रहा है हमें भी उनके पीछे हैं लेकिन दूरी थोड़ी ज्यादा है 
आगे बढ़ते  बढ़ते कुछ पानी के झरने भी दिख रहे हैं जो कि सामने बाली पहाड़ी पर हैं अभी हमें चले एक घन्टा
ही हुआ है और हम लगभग 6 किलोमीटर सफर तय कर चुके हैं ठाकुर जी हमें एक मिनट से ऊपर बैठने 
की इजाजत नहीं दे रहे हैं , कुछ आज के युवाओं को तुम खत्म हो कहकर आगे धकेल रहे हैं ।
रास्ते में कुछ बहुत सुंदर दृश्य दिखाई दे रहे हैं । 


   
रास्ते में दिखता एक मनमोहक दृश्य



और हम एक पानी के झरने पे पहुँच गये हैं यहाँ और ये दृश्य सच मे उस थकान को कम करने के लिए काफी है झरने के पास जाया जाता है कुछ तस्वीरेँ उत्तरी जारी हैं बस 15 मिनेट का आराम करने के बाद आगे का सफर शुरू हो गया है और हम दूसरी पहाड़ी पे जाने बाले हैं पहले बाली पहाड़ी के मुकाबले इस पहाड़ी पे ठंड ज्यादा है सीधी बात करें तो 4-5 डिग्री का फर्क लगता है लकड़ी का छोटा सा पुल ओर उसके नीचे गुजरता
पानी का दृश्य भी हमें यहाँ रोकना चाह रहा है लेकिन ठाकुर जी नही ।


एक दृश्य बहते हुए पानी का


ठाकुर साहब की बात मानकर हम आगे बढ़ जाते हैं और आगे का सफर और भी खूबसूरत दिख रहा है जगह जगह पे पहाड़ों से पानी बह रहा है जो की पार्वती नदी में जा रहा है जिसे हम कुछ समय पहले लांघ कर आये थे । थकान ज्यादा हो गई है क्योंकि हम ज्यादा नही रुके हैं बस आगे बढ़ रहे हैं अब हम ऊपर पहुँच चुके हैं बोह भी सिर्फ 2 घण्टे 35 मिनट में ।
ऊपर का दृश्य खूबसूरत दिखाई पड़  है सभी ओर के पहाड़ियों पे बर्फ है और बीच में गर्म पानी का चश्मा । ऊपर पहुचकर सबसे पहले स्नान किया जा रहा है , गर्म पानी में बैठकर सामने बर्फ से लदे पहाड़ो को निहार रहे हैं ,पानी मे कुछ पल नहाते ही हमारी सारी थकान मानो ग़ायब सी हो गयी है । नहाते नहाते कब 2 घण्टे गुज़र गए पता ही नहीं चला , नहाने से पेट भर गया है  लेकिन वहाँ खाई मैगी से नहीँ ।
अब थोड़ा जगह का मुआइना किया जा रहा है उस गुफा के लिए जहाँ पे भगवान कार्तिके ने तपस्या करी थी लेकिन पता चला है कि उसे बंद कर दिया गया है । कुछ पल वहाँ बिताने के बाद नीचे उतरना शुरू कर दिया जाता है और अब हमारे पास समय कम है रास्ते मे कुछ पल रास्ते में बिताते हैं और फिर बस के लिए भागते हैं जो की 5 बजे के करीब है ।

खीरगंगा के बारे में कुछ जरूरी बातें :-

खीरगंगा कुल्लू घाटी में है जिसकी ऊंचाई  लगभग 2960 मीटर है ।

 खीरगंगा के लिए रास्ते:-

 रास्ता A):-


बार्शनी से पुल पार करके अगर दायें रास्ते से जाएं तो हम पार्वती वैली को  दाई और छोड़ देंगे ,यह रास्ता नकथान गांव से होकर खीरगंगा जाता है और द्बारा चुना ज्यादातर यही रास्ता यात्रियों जाता है 
क्योंकि यह दूसरे से कम दूरी का है आप  3.5-4 घन्टे में 
रास्ते को आराम से तय कर सकते हैं /


रास्ता B):- 


अगर आप पुल की दाईं और से जाते हैं तो कालगा गांव से होते हुए खीरगंगा जा सकते हैं यह रास्ता आपको छोटी छोटी पखडंडियो से खीरगंगा पहुँचा देगा ,यहाँ के रास्ते में आपको पहुँचने में भी दिक्कत आ सकती है क्योंकि यह एक घने जंगल से भी गुजरता है बहुत से लोगों को इस रास्ते का पता न होने के कारण बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है ।

यात्रा के लिए कुछ जरूरी सामान :-


1.)अगर बरसात का मौसम में आप जा रहे हो तो रेन कोट और वाटरप्रूफ बैग आपके पास जरूर होना चाहिए क्योंकि बारिश कभी भी शुरू हो जाती है और काफी लंबे समय तक चल सकती है अगर आप रास्ते में कहीं फंस जाए तो ये चीज़ें आपको मदद कर सकती हैं ।

2.)अगर आप एक  दिन मैं ही वापिस आना चाहते हैं तो ज्यादा समान अपने साथ लेकर न जाये क्योंकि दूरी ज्यादा है और आपको इससे मुश्किल आ सकती है ।


3) ऊपर अभी तो बिजली का प्रबंध हो गया है लेकिन फिर भी पावर बैंक होना जरूरी है ।

4) रात में अगर आप रुक रहे हैं तो टॉर्च अपने साथ जरूर रखें ।

5) ट्रैक पर खाने के लिए चॉकलेट , एनर्जी ड्रिंक जरूर लेकर जाए क्योंकि इससे आपको यात्रा करने मे आसानी होगी , रास्ते मे आपको ये सारी बस्तुएं मुहहिया हो जाएगी लेकिन कुछ ज्यादा कीमतों पर ।

6) ट्रैक पैंट आपकी यात्रा आरामदायक बनाती है , साथ में एक लकड़ी की छड़ी रखना भी अच्छा रहेगा । छड़ी ज्यादातर यात्रा साथ करने से पहले किराये पे मिल जाती है ।

7) आपके पास कैश होना जरूरी है अच्छा होगा अगर आप कैश घर या भुंतर मेें निकलवा लें ।

8 ) ऊपर सिर्फ बीएसएनएल  का सिगनल होता है इस बात का ध्यान रखें  /

खीरगंगा यात्रा पर खर्चे का अनुमान :-

सामान्य बस का किराया हिमाचल :- 1.30 रुपए/किलोमीटर


सामान्य बस में दिल्ली सेे भुंतर तक किराया :- 2000 लगभग दोनों ओर को ।

भुंतर से बर्शिनी गांव:- 180 रुपये दोनों  तरफ का

दिन में खाने का खर्च:- 500-700 रुपये 

ठहरने का खर्च :- 1000-1200 रुपये का एक टेंट जिसमें 4-5 लोग ठहर सकते हैं , एक आदमी ज्यादा से ज्यादा 300-400 में रात काट सकता है ।



Please comment if you like 💓 this information , And if you have any questions please contact me .








7 comments:

Unknown said...

संक्षेप में वर्णन किया भाई आपने I'll keep in mind all these things when traveling to kheerganga ....thanks for such a relavent info😆

Unknown said...

Nic bhai .... content acha likha hai ...all d best for future

Unknown said...

Wahh writer chaaa gya Sandy bhai esee hee trkiyee kr you nailed it

Pahada-Wala said...

धन्यावाद भाई जी ।☺️

Pahada-Wala said...

धन्यावाद भाई जी ।☺️

Unknown said...

Content is great ..I will keep ur instructions in mind wmind whenever I will travel to kheerganga.. thanks and further expecting more contents on another places also...keep rocking

Rohit rawat said...

ब्लॉग पढ़ने से ही जगह की खूबसूरती का पता चल रहा है ! बहुत अच्छा लिखा है.

Travelling Tales / Stories / support

कुछ दिल को छू जाने वाली यात्राओं का वृतांत वर्णन।